Budget 2025 : आगामी केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 25,000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की घोषणा कर सकती है। इसका उद्देश्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना, चीन पर आयात निर्भरता को कम करना और भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक अहम खिलाड़ी बनाना है।
इस योजना से न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को फायदा होगा, बल्कि यह देश के रोजगार, निवेश, और इनोवेशन को भी बढ़ावा देगी। आइए, इस योजना के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
Budget 2025 : PLI स्कीम का उद्देश्य और संभावनाएं
- इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स का उत्पादन बढ़ाना:
PLI स्कीम के तहत कैमरा मॉड्यूल, PCB (Printed Circuit Boards), बैटरी और डिस्प्ले की सब-असेंबली को बढ़ावा मिलेगा।- लक्ष्य: भारत में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर आयात निर्भरता को कम करना।
- फोकस: वैश्विक और घरेलू कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षित करना।
- घरेलू वैल्यू एडिशन में सुधार:
- स्कीम का उद्देश्य स्थानीय सप्लाई चेन को मजबूत करना है।
- इससे भारत में इनोवेशन और वैल्यू-एडिशन में सुधार होगा, जिससे घरेलू प्रोडक्शन की लागत कम होगी।
- रोजगार और निवेश:
- PLI स्कीम से ग्लोबल इन्वेस्टमेंट आकर्षित करने की उम्मीद है।
- साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लाखों नए रोजगार सृजित हो सकते हैं।
- चीन पर निर्भरता कम करना:
- भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर अभी तक चीन से बड़ी मात्रा में आयात पर निर्भर है।
- यह योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
Budget 2025 : कैमरा मॉड्यूल से लेकर बैटरी और PCB पर फोकस
PLI स्कीम में कैमरा मॉड्यूल, PCB, बैटरी, और डिस्प्ले की सब-असेंबली को खासतौर पर शामिल किया गया है।
- कैमरा मॉड्यूल:
स्मार्टफोन्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए आवश्यक। - PCB (Printed Circuit Board):
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रमुख हिस्सा, जिसके घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। - बैटरी और डिस्प्ले:
EVs और स्मार्टफोन सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण घटक।
Budget 2025 : भारत के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्शन में तेज़ी
पिछले 6 सालों में प्रोडक्शन में दोगुनी बढ़ोतरी:
- भारत का इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्शन 115 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
- एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- ग्लोबल स्मार्टफोन सप्लाई में भारत का स्थान:
भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन सप्लायर है।
कैसे बदलेगी तस्वीर?
- स्कीम से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
- भारतीय कंपनियों को स्थानीय सप्लायर्स और मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम से इंटीग्रेट करने में मदद मिलेगी।
- इससे सप्लाई चेन रिस्क कम होगा और भारत के भीतर इनोवेशन को प्रोत्साहन मिलेगा।
Budget 2025 : PLI स्कीम से किसे होगा फायदा?
- घरेलू कंपनियां:
- स्थानीय मैन्युफैक्चरर्स और सप्लायर्स को प्रोत्साहन मिलेगा।
- मेक-इन-इंडिया पहल के तहत छोटे और मध्यम उद्योगों को लाभ होगा।
- ग्लोबल कंपनियां:
- एप्पल और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां भारत में निवेश को और बढ़ा सकती हैं।
- विदेशी कंपनियों को टैक्स इंसेंटिव और सपोर्ट मिलने की संभावना।
- इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री:
- कैमरा मॉड्यूल, PCB, बैटरी और अन्य महत्वपूर्ण घटकों का उत्पादन बढ़ेगा।
- चीन पर निर्भरता कम होगी और भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
- रोजगार और स्किल डेवलपमेंट:
- इस स्कीम के जरिए लाखों नई नौकरियां सृजित होंगी।
- नई तकनीकों और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के लिए लोगों को ट्रेनिंग मिलेगी।
Budget 2025 : लोकल प्रोडक्शन और सप्लाई चेन का महत्व
Budget 2025 : PLI स्कीम न केवल उत्पादन बढ़ाने का साधन है, बल्कि यह लोकल सप्लाई चेन को भी मजबूत करने का एक प्रयास है।
- लोकल सप्लाई चेन का फायदा:
- विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।
- भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों को ग्रोथ करने का मौका मिलेगा।
- वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की भूमिका:
- स्कीम का लक्ष्य भारत को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
- यह भारत को वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन में एक अहम स्थान देगा।
Budget 2025 : चुनौतियां और समाधान
चुनौतियां:
- बजट आवंटन:
इंडस्ट्री ने 40,000 करोड़ रुपए की मांग की थी, जबकि 25,000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। - तकनीकी ज्ञान की कमी:
घरेलू कंपनियों को उन्नत तकनीक अपनाने में मुश्किलें आ सकती हैं। - इन्फ्रास्ट्रक्चर:
भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी।
समाधान:
- सरकारी सहयोग:
अधिक फंडिंग और सब्सिडी के जरिए स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित किया जा सकता है। - प्रौद्योगिकी ट्रांसफर:
विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी के जरिए घरेलू तकनीकी ज्ञान को बढ़ाया जा सकता है। - इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार:
लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं को अपग्रेड करने पर ध्यान देना होगा।
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