Sebi New Circular: T+0 सेटलमेंट साइकल लागू होगा जानें क्या है इसका फायदा

Sebi New Circular भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए टॉप 500 स्टॉक्स के लिए T+0 सेटलमेंट साइकल लागू करने की घोषणा की है। यह नया नियम भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग के अनुभव को तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


Sebi New Circular T+0 सेटलमेंट साइकल का मतलब क्या है?

  • T+0 का मतलब है कि जिस दिन कोई ट्रेड किया जाएगा, उसी दिन उसका सेटलमेंट भी पूरा होगा।
  • वर्तमान में, शेयर बाजार में T+1 और T+2 सेटलमेंट साइकल का उपयोग हो रहा है, जहां सेटलमेंट अगले दिन या उसके बाद होता है।

Sebi New Circular टॉप 500 स्टॉक्स के लिए नई व्यवस्था

सेबी के नए सर्कुलर के अनुसार, T+0 सेटलमेंट साइकल को शीर्ष 500 कंपनियों पर लागू किया जाएगा. इसके तहत:

  • 31 दिसंबर, 2024 से यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लागू होगी.
  • शुरुआत में, शीर्ष 500 में से निचली 100 कंपनियों को शामिल किया जाएगा.
  • हर महीने, निचली 100 कंपनियों को जोड़ते हुए यह व्यवस्था अंततः शीर्ष 500 कंपनियों तक पहुंच जाएगी.
  • सेबी ने सभी स्टॉक ब्रोकरों को इस नई प्रणाली में भाग लेने की अनुमति दी है और उन्हें T+0 और T+1 सेटलमेंट साइकल के लिए अलग-अलग ब्रोकरेज चार्ज करने का अधिकार दिया है, बशर्ते कि यह नियामकीय सीमा के भीतर हो.

Sebi New Circular लागू होने की तारीख:

  • SEBI के नए सर्कुलर के मुताबिक, अप्रैल 2025 से टॉप 500 कंपनियों के स्टॉक्स पर T+0 सेटलमेंट साइकल लागू हो जाएगा।

Sebi New Circular T+0 सेटलमेंट साइकल के फायदे:

  1. तेज और प्रभावी प्रोसेसिंग:
    • ट्रेडर्स और निवेशकों को तुरंत शेयर या पैसे मिलेंगे।
    • ट्रेडिंग में पारदर्शिता और गति बढ़ेगी।
  2. नकदी प्रवाह में सुधार:
    • निवेशकों के लिए कैश फ्लो बेहतर होगा, जिससे वे तेजी से नए निवेश कर पाएंगे।
  3. जोखिम में कमी:
    • सेटलमेंट समय कम होने से बाजार की अस्थिरता का जोखिम घटेगा।
  4. विदेशी निवेशकों का आकर्षण:
    • यह कदम भारतीय बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

निवेशकों के लिए क्या बदलाव होगा?

  1. निवेशकों को तेजी से अपने ट्रेड का लाभ मिलेगा।
  2. इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए यह प्रक्रिया अधिक सरल और लाभदायक साबित हो सकती है।

चुनौतियां:

  1. सिस्टम अपग्रेड की आवश्यकता:
    • ब्रोकरेज और बैंकिंग सिस्टम को अपग्रेड करना होगा ताकि प्रोसेसिंग समय पर हो सके।
  2. लिक्विडिटी प्रबंधन:
    • तेजी से सेटलमेंट के लिए फंड्स और शेयरों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।

निष्कर्ष:

SEBI का यह कदम भारतीय शेयर बाजार को और अधिक कुशल और निवेशक-अनुकूल बनाएगा। T+0 सेटलमेंट साइकल न केवल निवेशकों को लाभ पहुंचाएगा, बल्कि बाजार की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता भी बढ़ाएगा। हालांकि, निवेशकों और ब्रोकरेज हाउस को इस बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।

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